लोहाघाट विधानसभा सीट में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला है यहां बीजेपी ने जहां दो बार के विधायक पूरन फर्त्याल को एक बार फिर टिकट दिया है वहीं कांग्रेस ने पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष खुशाल सिंह को एक बार हारने के बाद फिर से टिकट दिया है। पूरन फर्त्याल अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते हैं तथा उन्होंने लोहाघाट विधानसभा में विकास के तमाम कार्य किए हैं।
लोहाघाट विधानसभा सीट के तहत लोहाघाट तहसील के साथ ही पाटी और बाराकोट के इलाके आते हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में तीन विकासखंड आते हैं. लोहाघाट विधानसभा सीट पड़ोसी देश नेपाल के साथ करीब 60 किलोमीटर तक सीमा साझा करती है. मतदाताओं के लिहाज से लोहाघाट, चंपावत जिले की सबसे बड़ी विधानसभा सीट है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
लोहाघाट विधानसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि की चर्चा करें तो उत्तराखंड राज्य गठन के बाद इस सीट के लिए अब तक चार विधानसभा चुनाव हुए हैं. लोहाघाट विधानसभा क्षेत्र से लगातार दो बार कांग्रेस और इसके बाद दो बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार विजयी रहे. 2002 और 2007 में कांग्रेस के महेंद्र सिंह माहरा विधायक निर्वाचित हुए. महेंद्र सिंह माहरा एनडी तिवारी की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे. 2012 में कांग्रेस महेंद्र सिंह माहरा को बीजेपी के पूरन सिंह फर्त्याल ने 11535 वोट के अंतर से हरा दिया
2017 का जनादेश
लोहाघाट विधानसभा सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने पूरन सिंह फर्त्याल पर ही भरोसा जताया. बीजेपी के टिकट पर उतरे पूरन सिंह फर्त्याल के सामने कांग्रेस ने भी उम्मीदवार बदला. कांग्रेस के टिकट पर खुशाल सिंह अधिकारी चुनाव मैदान में उतरे. बीजेपी के पूरन ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के खुशाल को करीबी मुकाबले में 148 वोट से हरा दिया.
सामाजिक ताना-बाना
लोहाघाट विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो इस विधानसभा क्षेत्र में एक लाख से अधिक मतदाता हैं. जातिगत समीकरणों की बात करें तो लोहाघाट विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाताओं की बहुलता है. लोहाघाट विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में क्षत्रिय और अनूसूचित जाति के मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं
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