चंपावत।
बहुउद्देश्यीय प्रा.कृषि ऋण सहकारी समिति लि० (MPACS) दूबड़, विकासखण्ड-पाटी, चम्पावत में वित्तीय अनियमितता के प्रकरण पर सहकारिता विभाग की कठोर कार्यवाही*
*जिलाधिकारी का निर्देश – “जनपद की सभी सहकारी समितियों में वित्तीय पारदर्शिता बनाए रखने हेतु प्रभावी एवं कड़े कदम सुनिश्चित किए जाएं”*
विकासखण्ड पाटी अंतर्गत बहुउद्देश्यीय प्रा० कृषि ऋण सहकारी समिति लि० (MPACS), दूबड़ में वित्तीय अनियमितताओं के मामले में, जिला सहायक निबंधक, सहकारिता, चम्पावत द्वारा आयोजित विभागीय समीक्षा बैठक के दौरान समिति में हानि एवं खाता असंतुलन (इनबैलेन्स) के संकेत मिलने पर व्यापक सत्यापन कराया गया। सत्यापन के उपरांत प्रथम दृष्टया गबन, वित्तीय अनियमितता एवं अभिलेखों में कूटरचना की पुष्टि हुई।
इस गंभीर प्रकरण के दृष्टिगत दिनांक 08 अगस्त 2024 को एक 05 सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया, जिसने समिति के सचिव श्री जय राम (वर्तमान में निलंबित) के कार्यकाल की विस्तृत जांच की। जांच आख्या दिनांक 21 अप्रैल 2025 के अनुसार कुल ₹81,08,848.00 (इक्यासी लाख आठ हजार आठ सौ अड़तालीस) की धनराशि के गबन, अपहरण एवं वित्तीय कूटरचना की पुष्टि हुई है।
उक्त प्रकरण में सहायक निबंधक, सहकारिता चम्पावत सुभाष चंद्र गहतोड़ी द्वारा दोषी सचिव के विरुद्ध वसूली हेतु नोटिस जारी किया गया है। साथ ही विकासखण्ड पाटी के सहकारिता विकास अधिकारी (ADO) को संबंधित के विरुद्ध प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराने के निर्देश भी दिए गए हैं, ताकि दोषी के विरुद्ध विधिक कार्यवाही सुनिश्चित की जा सके।
इसके अतिरिक्त, सचिव के विरुद्ध सेवा नियमों एवं सहकारी अधिनियम/नियमावली के अंतर्गत विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही भी प्रारंभ कर दी गई है। सहकारिता विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि प्रकरण में शून्य सहनशीलता अपनाते हुए दोषी के विरुद्ध कठोरतम दंड सुनिश्चित किया जाएगा।
जिलाधिकारी, नवनीत पांडे के निर्देशानुसार एक विशेष जांच समिति गठित की गई, जिसने पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच करते हुए अपनी अंतरिम रिपोर्ट दिनांक 14 अप्रैल 2025 को प्रस्तुत की। इसके आधार पर 16, 17 एवं 18 अप्रैल को दूबड़ समिति के कार्यालय में सार्वजनिक जनसुनवाई आयोजित की गई, जिसमें समिति सदस्यों, किसानों एवं हितग्राहियों से प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त की गई। अंतिम जांच रिपोर्ट में सचिव को दोषी ठहराया गया है, जिन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए समिति की निधियों का गबन, फर्जीवाड़ा एवं घोर लापरवाही की है।
*यह कृत्य न केवल समिति की आर्थिक स्थिति को प्रभावित करता है, अपितु सहकारी तंत्र एवं किसानों के बीच विश्वास को भी आघात पहुंचाता है।*
सहकारिता विभाग द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि समिति की वित्तीय स्थिति की शीघ्र पुनर्स्थापना हो एवं सदस्यों के हितों की पूर्ण सुरक्षा की जाए। जिलाधिकारी द्वारा जनपद की सभी सहकारी समितियों में पारदर्शिता बनाए रखने हेतु नियमित लेखा परीक्षण, निरीक्षण, एवं सदस्य जागरूकता अभियान आयोजित करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।
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