चंपावत। कालीकुमाऊं ठेकेदार संगठन ने प्रदेश में निविदाएं छोटी लगाने स्थानीय ठेकेदारों को 5 करोड़ तक के कार्य देने उत्तराखंड की ठेकेदारों को प्राथमिकता देन सहित विभिन्न मांग को लेकर कलेक्ट्रेट में जोरदार प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा ।
इस दौरान ठेकेदारों ने कहा कि प्रदेश में विकास कार्य अपने साधन संसाधन से पूरा करके सरकार का मजबूत बनाने वाले पंजीकृत ठेकेदार आज बहुत सी कठिनाईयों का सामना कर रहे हैं।
प्रदेश में निविदायें छोटी लगनी चाहिये एवं फेज प्रथम व द्वितीय के कार्य छोटे हिस्सों में वियक्त होकर एक साथ लगने चाहिये जिससे डी और सी श्रेणी के ठेकेदार ज्यादा से ज्यादा काम कर सकें। 5
करोड तक के कार्य सिंगल बिड में लगने चाहिये एवं 10 करोड तक के कार्य उत्तराखण्ड मूल के निवासियों को मिलने चाहिये। इसके मूल निवास / स्थाई निवास लागू होना चाहिये।
निविदाओं में अतिरिक्त शर्तें लगाकर व्यक्ति विशेष को लाभ नहीं दिया जाना चाहिये। पी.सी.कार्यों में हॉट मिक्स प्लान्ट मेटेरियल व पेवर मशीन को हटाया जाये। पी.सी. का इस्टीमेट 2 सेमी. है पेवर का 3 सेमी। अतः पी.सी. का कार्य पूर्व की भांति होना चाहिये।
लम्बे समय से लम्बित भुगतान तुरन्त हो आपदा कार्यों का व वार्षिक अनुरक्षण भुगतान 2021-22 से अब तक लम्बित है। ऑफलाईन सिक्योरिटी डिपोजिट का भुगतान तुरन्त करने का कष्ट करें।
पंजीकरण पूर्व की भांति सरल होना चाहिये/टेक्नीकल स्टॉफ की च सोल्वेन्सी की अनिवार्यता समाप्त होनी चाहिये प्रत्येक ठेकेदार का स्थाई तौर पर टेक्नीकल स्टॉफ नियुक्त करना
पंजीकरण कम से कम 5 वर्ष तक वैध हो एवं एक प्रदेश समयावृद्धि वेरियेशन व एकस्ट्रा आईटम की प्रक्रिया पूर्व की भांति हो। ठेकेदारों के द्वारा समय से काम पूर्ण न होने पर पेनेल्टी लगायी जाती है। अतः भुगतान कार्य पूर्ण होने के एक निश्चित समय पर न होने पर ब्याज सहित भुगतान होना चाहिये।
रायल्टी ठेकेदारों के द्वारा खनन सामग्री सरकार द्वारा लाइसेंस प्राप्त नदी स्टॉक व क्रेशर से खरीदी जाती है जो खनन विभाग के नियमानुसार चल रहे है। अतः ठेकेदारों से पुनः रॉयल्टी लेना तर्क संगत नहीं है। पर्वतीय क्षेत्र में कार्य स्थल से 5 से 10 किमी0 के दायरे में क्वेरी की अनुमति मिलनी चाहिये।
जी०पी०डब्लू०-१ एवं एस०बी०डी०
एस०वी०डी० की भांति जी०पी०डब्लू०-9 के निर्णय के अधिकारी अधीक्षण अभियन्ता का होना चाहिये तथा जी०पी०डब्लू०-9 में संसोधन कर ठेकेदार के हित के क्लोस भी होने चाहिये।
निविदा में अनुभव की सीमा नहीं होनी चाहिये सदैव ठेकेदार को काम मिले यह सम्भव नहीं है।
आपदा कार्यों में लगी मशीन व लेबर को बीमा कवरेज मिलना चाहिये एवं ठेकेदार की आकस्मिक मृत्यु होने पर उनके देयक विना अर्थदंड के भुगतान होने चाहिये प्रत्येक कार्यदायी खण्ड में ठेकेदारों के बैठने हेतु कक्ष होने चाहिये।किसी भी शासनादेश लागू होने के बाद जो निविदा आमंत्रित होती है उनके बिलों में वह लागू होना चाहिये। निविदा धन की प्रत्याशा में नहीं बल्कि धन प्राप्ति के बाद आमंत्रित होनी चाहिये। केन्द्र पोषित योजनाओं के कार्यों में अधिक से अधिक कार्य प्रदेश के स्थानीय ठेकेदारों को मिलने चाहिये। ठेकेदारों ने चेतावनी देते हुएकहा कि मांगे पूरी नहींहोने पर बहिष्कार एवं अनशन करने के लिये बाध्य हो जायेगे। इस दौरान प्रदर्शन और ज्ञापन देनेवालों में ठेकेदार मंदीप ढेक, उमेश खर्कवाल, सूरज प्रहरी खेम सिंह मौनी, भूपेंद्र ढेक, एनडी जोशी आदि ठेकेदार मौजूद रहे।
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