पर्वतीय क्षेत्र में इनोवेशन और निवेश को प्रोत्साहन के लिए माइक्रो डिस्टिलेशन यूनिट की स्थापना का प्रावधान
आबकारी से राजस्व में 11% की वृद्धि का लक्ष्य
जड़ी बूटियों और स्थानीय उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा, स्थानीय किसानों को मिलेगा लाभ
स्थानीय उद्यमियों को भी मिलेगा लाभ
देहरादून। धामी कैबिनेट ने नई आबकारी नीति पर मुहर लगा दी है। राज्य की आबकारी नीति को और भी अधिक पारदर्शी बनाते हुए उत्तराखंड सरकार ने मिलावटी शराब को रोकने, ब्रांड उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा राजस्व बढ़ाने की दृष्टि से उत्तराखण्ड आबकारी नीति विषयक नियमावली 2024 के तहत अहम कदम उठाये हैं ।
वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-24 के राजस्व लक्ष्य ₹ 4000 करोड़ के सापेक्ष 11% की वृद्धि के साथ वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिए ₹ 4440 करोड़ का लक्ष्य दिया गया है। इसके साथ ही पर्वतीय क्षेत्र में इनोवेशन और निवेश को प्रोत्साहन के लिए माइक्रो डिस्टिलेशन ईकाई की स्थापना का प्राविधान किया गया है, जिसे सूक्ष्म उद्योगों की श्रेणी में कम से कम क्षेत्रफल में स्थापित किया जा सकेगा जो कि आर्थिक रूप से सक्षम होने के साथ हिमालयी क्षेत्र की पर्यावरणीय मानकों के अनुकूल होने से स्थानीय पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
जिससे कस्टम बॉण्ड से आने वाली ओवरसीज मदिरा के व्यापार को राजस्व हित में नियंत्रित किया जा सकेगा। राज्य की कृषि/बागवानी से जुड़े कृषकों के हित में देशी शराब में स्थानीय फलों यथा कीनू, माल्टा, काफल, सेब, नाशपाती,तिमूर, आड़ आदि का समावेश किया जाना अनुमन्य किया गया है। मदिरा दुकानों का व्यवस्थापन नवीनीकरण, दो चरणों की लॉटरी, प्रथम आवक प्रथम पावक के सिद्धात पर पारदर्शी एवं अधिकतम राजस्व अर्जन की दृष्टि से किया जाएगा। नवीनीकरण उन्ही अनुज्ञापियों का किया जाएगा जिनकी समस्त व्यपगत देयताए बेबाक हों और प्रतिभूतियाँ सुरक्षित हों। आवेदक को आवेदन पत्र के साथ दो वर्ष का ITR दाखिल करना अनिवार्य होगा। एक आवेदक सम्पूर्ण प्रदेश में अधिकतम तीन मदिरा दुकानें आवंटित की जा सकेंगी। प्रदेश के समस्त जनपदों में संचालित मदिरा दुकान के सापेक्ष उप दुकान खोले जाने की अनुमति राजस्व हित दी जा सकेगी। देशी मदिरा दुकानों में 36 प्रतिशत v/v तीव्रता की मसालेदार शराब या 25 प्रतिशत v/v तीव्रता की मसालेदार एवं सादा मदिरा एवं विशेष श्रेणी की मेट्रो मदिरा की आपूर्ति के प्राविधान किए गए हैं। विदेशी / देशी मदिरा के कोटे का अनतरण कोटे के अधिभार के 10% तक अनुमन्य होगा। विदेशी मदिरा में न्यूनतम प्रत्याभूत ड्यूटी का निर्धारण कर मदिरा ब्राण्डो का मूल्य विगत वर्षों की भाँति निर्धारित किया गया है, जिससे आबकारी राजस्व सुरक्षित रहे और उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर मदिरा उपलब्ध हो सके।
प्रदेश में पर्यटन प्रोत्साहन एवं स्थानीय रोजगार की दृष्टि से पर्वतीय तहसील एवं जनपदो में मॉल्स डिपार्टमेन्टल स्टोर में मदिरा बिक्री का अनुज्ञापन शुल्क ₹.05 लाख (पाँच लाख)/ दुकान का न्यूनतम क्षेत्रफल 400 वर्गफुट का प्रविधान किया है। विगत वर्ष से भिन्न स्टार कैटेगरी के अनुसार बार अनुज्ञापन शुल्क निर्धारित किया गया है, इसी प्रकार पर्यटन की दृष्टि से सीजनल बार अनुज्ञापन शुल्क का प्रावधान किया गया है।परपरागत रूप से अवैध कच्ची शराब के उत्पादन क्षेत्रों में लगातार प्रभावी प्रवर्तन कार्यवाही करने तथा ऐसे क्षेत्रों में वैध मदिरा के विक्रय को प्रोत्साहन करने हेतु उप दुकान का प्राविधान किया गया
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