चंपावत। सीसीएफ कुमाऊ धीरज पांडे ने छीड़ा बीट का किया निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने च्यूरा उत्कृष्टता केंद्र का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि च्यूरा वृक्ष कल्पवृक्ष के समान है। । जिसका वानस्पतिक नाम Diploknema Butyracea है पहाड़ो में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार देने वाली च्यूरा प्रजाति की काफी उपयोगिता रही है।
च्यूरा वृक्ष से वनस्पति घी एवं शहद का उत्पादन होने के साथ ही इसके पत्ते कंपोस्ट खाद के उत्पादन को बढ़ाने में भी काफी मददगार साबित होते हैं।वर्ष भर सदाबहार रहने वाले च्यूरा की पत्तियों से बनाई गई कंपोस्ट खाद में खरपतवार और कीटनाशक गुण पाए जाते हैं।
यही कारण है कि च्यूरा वृक्ष को कल्पवृक्ष माना जाता है। पिथौरागढ़ डीएफओ आशुतोष सिंह के अनुसार इसका फल विटामिनयुक्त होता है, जिसका अर्क निकालकर शीतल पेय के रूप में प्रयोग में लाया जाता था। अतीत में खाद्य तेलों के अलावा चॉकलेट बनाने में भी इसका प्रयोग किया जाता था। च्यूरा प्रजाति का तना इमारती लकड़ी और काष्ठ उद्योग में काम आता है। इसकी जड़ें गहरी होने के कारण भूमि कटाव को रोकने में भी काफी सहायक होती हैं। हालिया दिनो में च्युरा से स्थानीय रोजगार देने स्थानीय जलवायु का अध्ययन करने खुद सीसीएफ कुमाऊ धीरज पांडे सीएफ उत्तरी कुमाऊ कोको रोसे द्वारा कुमाऊ का भ्रमण किया गया। जिस पर विभाग च्यूरा वाले क्षेत्रो को और भी विकसित करने हेतू प्लान बना रहा है सी सी एफ कुमाऊ द्वारा बताया गया कि काली नदी सरयू नदी व राम गंगा की घाटियो की जलवायु इसके लिए बेहतर है।
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