April 25, 2025

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मुख्य प्रशासनिक अधिकारी भगवत प्रसाद पांडे ने कोली झील को स्वच्छ बनाए रखने की अपील के साथ बनाया गंगा दशहरा द्वार पत्र

चंपावत कलेक्ट्रेट में तैनात मुख्य प्रशासनिक अधिकारी भगवत प्रसाद पांडे ने कोलीढेक झील को स्वच्छ बनाए रखने की अपील के साथ बनाया गंगा दशहरा द्वार पर्व। इससे पूर्व भी उन्होंने

बेटी बचाओ बेटी बचाओ, कोरोना काल में मास्क और सामाजिक दूरी का महत्व, जलवायु परिवर्तन, चौपहिया वाहन में हमेशा सीट बेल्ट पहनने और दोपहिया वाहनो में हेलमेट पहनने समेत विभिन्न विषयों को लेकर द्वार पत्र बनाए हैं।
गंगा दशहरा के दिन माँ गंगा का भूलोक में अवतरण हुआ था। इस दिन पर्वतीय क्षेत्रों में घरों के मुख्य द्वार पर गंगा द्वार पत्र लगाया जाता है। पिछले कई वर्षों से द्वार पत्र बनाने कलेक्ट्रेट चम्पावत के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, साहित्यकार और पर्व-परम्पराओं में रुचि रखने वाले भगवत प्रसाद पाण्डेय ने बताया कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है। इसी दिन भगीरथ की तपस्या से माँ गंगा जी का धरती में अवतरण हुआ था। इस अवसर पर लोग नदी, सरोबरों में स्नान-दान कर दश पाप हरने की गंगा जी से प्रार्थना करते हैं। गंगा दशहरे के दिन पहाड़ के घरों में गंगा द्वार पत्र जिसे कुमाऊनी बोली में ‘दशार’ कहते हैं, इसे लगाने की परम्परा है। मान्यता है कि इसको लगाने से घर में अग्निकांड और वज्रपात नहीं होता है। पहले तक पुरोहित अपने हाथ से द्वारपत्र तैयार कर अपने यजमानों को दिए जाते थे, आजकल छपे-छपाये द्वारपत्र मिलते और बाँटे जाते हैं। पाण्डेय ने बताया कि वह स्वयं अपने घर में हर वर्ष किसी न किसी समसामयिक विषय को लेकर दशार बनाते हैं जिससे लोगों में ज्ञान , जनजागरूकता के साथ अपनी संस्कृति की ओर रुझान बना रहे।

इस बार उन्होंने लोहाघाट की प्रसिद्ध कोली ढेक झील को लेकर द्वारपत्र बनाया है। उन्होंने यह भी बताया कि विगत वर्ष से शुरू हुई चम्पावत जिले में लोहाघाट के समीप कोली झील प्राकृतिक रूप से देवदार के वन से घिरी होने कारण बहुत खूबसूरत है। यहाँ स्थानीय और बाहरी राज्यों से भी पर्यटक आते हैं। अब यहाँ पर बोटिंग की भी सुविधा है। जिस तरह गंगा नदी औऱ अन्य नदियों, तालाबों, झीलों को साफ सफाई जरूरी है, उसी तरह कोली झील को साफ और स्वच्छ रखना सभी का दायित्व है। इसी संदेश को लेकर उन्होंने इस बार गंगा द्वार पत्र बनाया है।
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड से बाहर और विदेश में रहने वाले अपने मित्र और परिवारजनों को वह पिछले कई वर्षों से ऑनलाइन माध्यम से अपने बनाए गंगा दशहरा द्वार पत्र भेजते हैं जिनको लोग प्रिंट करवाकर अपने घर में लगाते हैं जिससे वह अपने धर्म और पर्वों से जुड़ाव बनाये रखने में सफल होते हैं।

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